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तुम कहो तो मैं वैसा हो जाऊ, बहता पानी या महकी हवा

तुम कहो तो मैं वैसा हो जाऊ,
बहता पानी या महकी हवा हो जाऊ,
उगता सूरज या चांद हो जाऊ,
तुम्हारे अधरो की मुस्कान या मांग का सिंदूर हो जाऊ।
तुम कहो तो मैं वैसा हो जाऊ।

तुम्हारे हर सृंगार का साजो सामान हो जाऊ,
तेरी रातो का मीठा ख्वाब हो जाऊ,
जिसमे तू डूब जाए अंदर तक,
मैं इशक़ का कोई गहरा सैलाब हो जाऊ।
तेरी किताबो में छुपी किसी मोर पंख की तरह,
मैं भी तेरे लिये कुछ इतना ही खास हो जाऊ।
तु कहे तो में वैसा हो जाऊ।

तू बने मेरी राधा मैं तेरा केशव हो जाऊ,
तू बहक जाए जिसे सुनकर मैं वो मधुर आवाँज हो जाऊ।
पूस की ठंडी रातो में, मै तेरे पास जलता अलाव हो जाऊ,
गर्मी की मै तेरी ठंडी शाम हो जाऊ।
मैं बिकु और तेरे नाम हो जाऊ,
ये जिस्म एक हो या ना हो कभी 
मगर तेरी रूह में कही नामजद हो जाऊ।
तू कहे तो मैं वैसा हो जाऊ।

                                           (rohit bairag) तुम कहो 

#dawn
तुम कहो तो मैं वैसा हो जाऊ,
बहता पानी या महकी हवा हो जाऊ,
उगता सूरज या चांद हो जाऊ,
तुम्हारे अधरो की मुस्कान या मांग का सिंदूर हो जाऊ।
तुम कहो तो मैं वैसा हो जाऊ।

तुम्हारे हर सृंगार का साजो सामान हो जाऊ,
तेरी रातो का मीठा ख्वाब हो जाऊ,
जिसमे तू डूब जाए अंदर तक,
मैं इशक़ का कोई गहरा सैलाब हो जाऊ।
तेरी किताबो में छुपी किसी मोर पंख की तरह,
मैं भी तेरे लिये कुछ इतना ही खास हो जाऊ।
तु कहे तो में वैसा हो जाऊ।

तू बने मेरी राधा मैं तेरा केशव हो जाऊ,
तू बहक जाए जिसे सुनकर मैं वो मधुर आवाँज हो जाऊ।
पूस की ठंडी रातो में, मै तेरे पास जलता अलाव हो जाऊ,
गर्मी की मै तेरी ठंडी शाम हो जाऊ।
मैं बिकु और तेरे नाम हो जाऊ,
ये जिस्म एक हो या ना हो कभी 
मगर तेरी रूह में कही नामजद हो जाऊ।
तू कहे तो मैं वैसा हो जाऊ।

                                           (rohit bairag) तुम कहो 

#dawn

तुम कहो #dawn #कविता