क्या कसूर था जो इतनी बड़ी सजा दी क्या कसूर था जो इतनी बड़ी सजा दी क्या वो मुझसे ज्यादा अमीर है जो मुझे भूला दी तेरे गोलगप्पे के चक्कर मे बहन का अभी भी बहुत कर्जा है तुमने मेरी आंखे खोल दी कि तेरे सामने मेरा क्या दर्ज़ा है तेरा मुझे बाबू सोना करना बहुत याद आती है बहन पूछती है कि भैया भाभी अब भी तुमको रुलाती है मैंने कहा अब वो तेरी भाभी नही रही दिल उसका लग गया है औऱ कहीं अरे वो तेरे भाभी बनने के काबिल नही थी बेहद प्यार करना मेरी तरह वो इतना पागल नही थी मैं झूठ भी सही से नही बोल पाता हूँ तुमसे दूर जाने का उसको बेतुका कारण बताता हूँ जब क्लास खत्म होने के बाद बारिश में साथ बैठकर कॉफ़ी का मज़ा एक ही गिलास में लेते थे कॉफ़ी वाला भी हमे कभी न बिछड़ने की लाखों दुआएं देते थे क्या कसूर था जो इतनी बड़ी सजा दी क्या कसूर था जो इतनी बड़ी सजा दी माना कि होगा वो अमीर दौलतों से माना कि होगा वो अमीर दौलतों से मगर जिस दिन उसका मन भर गया तो तुमको भी साथ रखेगा जरूरतों से #Sachcha_pyar_sbko_hazam_nhi_hota..