तूने समझी ना परेशानी मेरी घुट घुट के मै जीता हूँ तू सोचती होंगी ये अरमान सम्भला कैसे? इसका राज़ ये है की मै रोज शराब पीता हूं कोई राह नजर ना आई किसी ने साथ ना दिया मै ढूंढता रहा तुझे दरबदर तूने भी अपना हाथ ना दिया फिर धीरे धीरे मै तुझे भूलने लगा खुदको शायर अरमान कहता तू मेरे लिए बुरा वक़्त थी फिर मै क्यों तुझपे ध्यान देता कोई छोटी सी गलती नहीं थी तेरी जिंदगी उलझा दी थी तूने मेरी अगर तू देती साथ मेरा तो तुझे गजब का मुकाम देता तू कभी मेरी थी ही नहीं तो मै किस हक़ से तेरा नाम लेता #अरमान #शराब पीता हूं