की सिर्फ अब में ही पिरोता हूं यादों में लम्हे..., या तुम भी कुछ दिल-ए-जज़्बात छिपाती हो ? की सिर्फ अब में ही रोता हूं इन रातों में गम्हे..., या तुम भी एक बेरंग नाम रंग-ए-हिना में छिपाती हो ? ©Ritik की सिर्फ अब में ही पिरोता हूं यादों में...