आओ फिर से मिल मुस्काये जख्मो से अपना ध्यान बटाये अपने पैरों खड़े हो जाये दुनिया को लोहा मनवाये परीक्षा की घड़ी आई है साथ मुसीबते खूब लाई है मुसीबतों को ठेंगा दिखलाये आओ फिर से मिल मुस्काये माना जेबे बहुत तंग है परिचितों के भी अलग रंग है फिर भी आओ मिल बतलाये आओ फिर से मिल मुस्काये अपना पराया जान गए अब कैसा रिश्ता मान गए अब किसके लिए हम मुरझाये आओ फिर से मिल मुस्काये काले बादल छट जायेगे अच्छे दिन फिर आएंगे फिर से आओ खुशियां मनाएं आओ फिर से मिल मुस्काये © Rajesh Sharma आओ फिर से मिल मुस्काये #muskurahat