जब कभी मैं तुम्हें भूलाते भुलाते थक जाऊंगी, और भुलाने में असफल रह जाऊँगी, मुझे लगता हैं ऐसा सफल होने के लिए, चैन की नींद सो जाऊँगी, फिर तुम याद आओगे नहीं आओगे फर्क़ नहीं होगा, वो नींद ही ऐसी होगी, तुमसे ना ख्वाबों में मिलने की खुशी होगी कोई, ना फिर ख्वाबों में बिछड़ जाने का गम होगा।