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तेरे ही ख़्यालों में खोए रहते हैं हम दिन और रात, स

तेरे ही ख़्यालों में खोए रहते हैं हम दिन और रात,
सारे मौसम एक से लगते हैं गर्मी हो या बरसात।

आकर बाहों में भर लो खत्म करो अब मेरा इंतजार,
बहक से रहे हैं कदम और बेकाबू हो रहें हैं जज्बात। 🌝प्रतियोगिता- 200🌝

 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"ख़्याल"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
तेरे ही ख़्यालों में खोए रहते हैं हम दिन और रात,
सारे मौसम एक से लगते हैं गर्मी हो या बरसात।

आकर बाहों में भर लो खत्म करो अब मेरा इंतजार,
बहक से रहे हैं कदम और बेकाबू हो रहें हैं जज्बात। 🌝प्रतियोगिता- 200🌝

 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"ख़्याल"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I