खुद को कीचड़ करके तुझे कमल की तरह खिला दिया हमने,, मगर कहां मालूम था की खूबसूरत पुष्प अक्सर तोड़ लिए जाते हैं क्योंकि कीचड़ में खिलकर कीचड़ में ही मुरझा जाना तेरी फितरत तो नहीं कोई इत्तेफाक ही हो सकता था - मैं शायर तो नहीं Kaha maloom tha.....