रंगो का मेला जग ने दिखाया, किसीने हसाया, किसीने रुलाया! भेद रंगों का जब मन समझ नहीं पाया, सबसे बचाने मेरा श्याम ही तो आया! दर्द बाँटने को दिल बेकरार था, मानो इसे कान्हा का ही इंतज़ार था! यू तो मुझे भी जिन्दगी से प्यार था, मगर दिल पे डर का साया जो सवार था! जब जब लगा और सह नही पाऊँगी, इस गहरे समन्दर में बह ही ना जाऊँगी? कान्हा ने विश्वास दिलाया मैं नहीं बिखरूँगी, अपने साथ औरों को भी राह दिखाऊँगी! अब डर किस बात का जब वो साथ है, खौफ कैसा रात का, सर पे उसका हाथ है! गम भूल जाना, अब तो खुशी की बरसात है, पलभर में वक्त बदल दे, ऐसा मेरा नाथ है! ©Anagha Ukaskar #Krishna #krishna_flute #radhakrishn #RadhaKrishna #Krishn #Radha #Kanhaa #poem #Nojoto #lord_krishna