"कविता" मैं दर्द भरी दुखती कविता, परिचय की मोहताज नहीं मिट के जो लिखे, लिख के जो मिटे मैं यूँ ही बनती रही क्यू बांध रखे हो कुंठा मे, आज तो बन सैलाब बहो मायने भी कम पड़ जाए उन अर्थ को तुम मुझमें ढूंढो कुछ अश्क नई कुछ चाह नई, सब है तेरे पास अभी जो मन में नहीं वो शब्द नहीं, ढूंढो मन के कोने में छुपी #कविता #मन_की_बात #मनकीखिड़की #मनकीस्लेट #बावरा_मन #dil diya gallan