गुजरता था उसकी राहो से उसे देखने के लिए दिल मचलता था एक हसीन सपने सी थी वो जिसे पूरा करने के लिए दिल तड़पता था... इशारों इशारों में बाते होती थी दिल ही दिल में फूल खिलता था मनोमिलन की इस चाहत में ये बेचारा दिल सारी रात उलझता था... अब बस इकरार ही बाकी था उसका नाम ही काफी था इस दिल की दस्तक थी वो बस आदत बनना बाकी था... एक तूफान की तरह आके उसने सारे होश उड़ा दिए थे हम वहीं थे खड़े उनकी यादोंमे खोए और उलझते गए और उलझते गए और आखिर में शीशे की तरह टूट से गए... #गुजरता_था_उसकी_राहों_से #अधूरा_इश्क़ #कहानी_अनकहिसी #आशिक़