बाज़ार दिखावे के, मतलब के ये रिश्ते हैं, नीलाम तो होते हैं पर दाम में सस्ते हैं। वो दर्द भी इस दिल को कुछ ख़ास ही देते हैं, वो ग़ैर नहीं होते, अपने ही तो होते हैं। गर आइना देखें तो ख़ुद शर्म से हों पानी, वो शामो-सहर इतने जो चेहरे बदलते हैं। इस दिल के हर इक कोने में ज़ख़्मे-मरासिम हैं, हम दिल के उन्हीं ज़ख़्मो को छेड़ के हंसते हैं। रिश्तों के तलातुम में,जलते हुए शोले हैं, जिस दिल में उतरते हैं जलकर ही निकलते हैं। ये कैसा तमाशा है ये कैसी मुहब्बत है! है बरहमी अपनों से गैरों से चहकते हैं। #yqaliem #rishtey #dikhawa #chehre #apne-ghair #barahmi #sholey #zakhme_marasim बहर 221 1222 221 1222 ज़ख़्मे-मरासिम - wound of