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जिसके साथ रहना चाहता था , उसी से दूर जाना पड़ा. सकू

जिसके साथ रहना चाहता था , उसी से दूर जाना पड़ा.
सकूं के छाँव को छोड़कर, दुःख के धूप को अपनाना पड़ा.
सिर्फ़ एक जिन्दगी को कमाने के ख़ातिर
एक पूरी जिन्दगी को गवाना पड़ा।
जब वो साथ था तो लिपट कर रो लेते थे.
अब उससे बिछड़कर भी मुस्कुराना पड़ा।
ओ आँखों से ओझल भी होता तो तड़प जाता था.
अब हर रोज़ उसकी फोटो से काम चलाना पड़ा।
और अपने ही देश मे परदेश क्यों होते हैं.
क्यों पंछियों को घर छोड़कर जाना पड़ा।
वो आके गले से लगा लेगा इसी उम्मीद में जिंदा हूँ.
और इसी उम्मीद में हर रोज़ मर जाना पड़ा।

©anjaan shiv #jingagi
जिसके साथ रहना चाहता था , उसी से दूर जाना पड़ा.
सकूं के छाँव को छोड़कर, दुःख के धूप को अपनाना पड़ा.
सिर्फ़ एक जिन्दगी को कमाने के ख़ातिर
एक पूरी जिन्दगी को गवाना पड़ा।
जब वो साथ था तो लिपट कर रो लेते थे.
अब उससे बिछड़कर भी मुस्कुराना पड़ा।
ओ आँखों से ओझल भी होता तो तड़प जाता था.
अब हर रोज़ उसकी फोटो से काम चलाना पड़ा।
और अपने ही देश मे परदेश क्यों होते हैं.
क्यों पंछियों को घर छोड़कर जाना पड़ा।
वो आके गले से लगा लेगा इसी उम्मीद में जिंदा हूँ.
और इसी उम्मीद में हर रोज़ मर जाना पड़ा।

©anjaan shiv #jingagi
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