जीवन, मरण संस्मरण का संयोग है ....... जीवन, मरण पर होता नहीं कभी जीवों का अधिकार इनके आने पर स्वतः मिलता प्रेम प्रीत से भरा परिवार भिन्न-भिन्न जातों में इनके होते जन्म और नामसंस्कार देखना चाहो तो देखो जन्में हो झोपड़ी या "राजदरबार" जीवन के साँसों की बँधी डोरियाँ नीज "कर्मो के आधार" जैसा परवरिश, वैसी आचरण वैसी उनके आहार-विहार प्रीत, नफ़रत, स्वार्थ, त्याग, भोग विलास कि चादर मैली भिन्न भिन्न संस्कारों की टोली इनकी होती स्वतः "रंगोली" टुकड़े टुकड़े में बंटी विचारधारा धर्मों के आधार पर बोली नहीं रहते यह जीवनभर एकत्रित बनकर सभ्य हमजोली "किए बलिदान देश हित जिसने" नहीं सोचा एक भी वार क्यों नीज का बलिदान दूँ यदि होंगे आगे चल ऐसे परिवार ©Anushi Ka Pitara #जीवन #मरण #संस्करण #Jeevan