कौन मेरी कसक में नित मधुरता भरता अलक्षित कौन प्यासे लोचनों में घुमड़ घिर झरता अपरिचित स्वर्ण स्वप्नों का चितेरा नींद के सूने निलय में कौन तुम मेरे हृदय में... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख