ओ कान्हा कान्हा तेरी गायों को घास नहीं मिलता वो कचरे के ढेर से खाना चुनकर खाती हैं। कान्हा तेरी भक्त द्रौपदी की लाज नहीं बचती सरेआम उसकी इज्जत उछाली जाती है। कान्हा अधर्म चारों ओर फैला है जय जयकार होती पाप की है, यहां इंसान भगवान बना बैठा है अपमान होती तेरे नाम की है। अब तो आजा कान्हा तेरी जरूरत आन पड़ी है , हर घर की यशोदा के पास तेरे लिए ढेरों माखन पड़ी है, गोपियां पनघट पर तेरी राह देखते हुए खड़ी है, और राधा तुझसे मिलने की जिद पेअड़ी है। ©Shilpa Sona #kanha #MereKanhaiyya #happyjanmashtami #janmaashtami Manali Rohan आँचल IshQ परस्त {Official}