बेहाल इतने रहे हैं हम के आज खुदके हाल भूल गए ये ऊंची उड़ान भरने वाले परिंदे लगता हैं गुलेल की मार भूल गए और एक वक़्त तक ख़ामोश क्या बैठा रावण लगता हैं तुम दुनिया वाले मेरी तलवार की धार भूल गए रावण वानी