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ईश्वर की करुणा-कोमलता, पवित्रता-वात्सल्य व औदार्य

ईश्वर की करुणा-कोमलता, पवित्रता-वात्सल्य व औदार्य की साकार अभिव्यक्ति है - नारी ! 

जो प्रकृति स्वरूपा ही है। मंत्रदृष्टा ऋषिकाओं से लेकर आधुनिक भारत के सृजन में मातृसत्ता का अतुलनीय योगदान है। 
अतः नारी के सम्मान-स्वाभिमान, अधिकार जागरण, निजता संरक्षण तथा समग्र सशक्तिकरण के लिये आगे आयें ! अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
ईश्वर की करुणा-कोमलता, पवित्रता-वात्सल्य व औदार्य की साकार अभिव्यक्ति है - नारी ! 

जो प्रकृति स्वरूपा ही है। मंत्रदृष्टा ऋषिकाओं से लेकर आधुनिक भारत के सृजन में मातृसत्ता का अतुलनीय योगदान है। 
अतः नारी के सम्मान-स्वाभिमान, अधिकार जागरण, निजता संरक्षण तथा समग्र सशक्तिकरण के लिये आगे आयें ! अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस