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किसी निस्तब्ध रात्रि में एकांत में बैठकर स्वयं क


किसी  निस्तब्ध रात्रि में एकांत में बैठकर स्वयं के मौन को सुनना
वह भाव है जो आपको पारलौकिकता  की ओर मोड़ता है।।

©Rishabh Singh
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