आना पड़ता है मजबूरी मेे अपनों से मुंह मोड़ कर. गुनहगार भी बन जाते हैं तब किया वादा तोड़ कर. दो वक़्त की रोटी खातिर एमएस हम हैं परदेशी बने. वरना किसको अच्छा लगे भला अपना गावं छोड़ कर. Instagram id. mskhan kabiri ✍️✍️✍️ ©MSkhan Kabiri #Nojoto #poem #विचार #kavita #शायरी #cityview