अनुरक्त हूँ तुम्हारी फिर कैसे तिरस्कार करूँ ? मेरा जीवन प्रकृति पर निसार है तो तुझे ललकार खुद को कैसे अंगिकार करूँ ? तेरा मुझ पर इतना उपकार है तो सुन प्रकृति मेरी, तुझसे कैसे प्रतिकार करूँ ? तू ही तो मेरी मददगार है तो सुन जरा तुझपर नहीं तो मैं किस पर अंहकार करूँ? शिल्पा यादव (सर्वाधिकार सुरक्षित) 13-08-2020 #Calming nature #CalmingNature