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ये कैसी और किसकी ईद है कि जिसका कोई शिद्दत से चाहन

ये कैसी और किसकी ईद है कि जिसका
कोई शिद्दत से चाहने वाला भी नहीं
जो कल बांटता था रौशनी सूरज को,
आज उसके हिस्से में उजाला भी नहीं

लाज़ीम है मेरा शिकवा उस परवर दीगार से,
जायज़ है बेरूखी भी आदम की जात से
बेईमान तो खाएँ छप्पन भोग की थाली,
और ग़रीब को दो वक़्त का निवाला भी नहीं

कैसी बातें करते हो मियाँ, मैं "पागल" हूँ?
क्यूँ की अदल ओ इंसाफ का मैं कायल हूँ
मैंने तो नहीं दी तुम्हें तुम्हारे पुरखों की सज़ा
मैंने तो तुम्हें जन्नत से निकाला भी नहीं

ईजाज़ अहमद "पागल"  #Ejaz #Pagal #randomthoughts#Kavishala #shayari #Nojoto #NojotoDelhi #nojotohindi #eid #Poetry #ghazal #
ये कैसी और किसकी ईद है कि जिसका
कोई शिद्दत से चाहने वाला भी नहीं
जो कल बांटता था रौशनी सूरज को,
आज उसके हिस्से में उजाला भी नहीं

लाज़ीम है मेरा शिकवा उस परवर दीगार से,
जायज़ है बेरूखी भी आदम की जात से
बेईमान तो खाएँ छप्पन भोग की थाली,
और ग़रीब को दो वक़्त का निवाला भी नहीं

कैसी बातें करते हो मियाँ, मैं "पागल" हूँ?
क्यूँ की अदल ओ इंसाफ का मैं कायल हूँ
मैंने तो नहीं दी तुम्हें तुम्हारे पुरखों की सज़ा
मैंने तो तुम्हें जन्नत से निकाला भी नहीं

ईजाज़ अहमद "पागल"  #Ejaz #Pagal #randomthoughts#Kavishala #shayari #Nojoto #NojotoDelhi #nojotohindi #eid #Poetry #ghazal #
ejazahmad1121

Ejaz Ahmad

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