हाथ में हाथ लिये फिरते हैं । हम तुझे साथ लिये फिरते हैं । बांधकर एक दीये की लौ में । हिज्र की रात लिये फिरते हैं । by # mubashir Saeed #हिज्र की रात लिये फिरते हैं #