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एक तरफा ही सही मैं उससे प्यार करता रहा !मुझे लगा क

एक तरफा ही सही मैं उससे प्यार करता रहा !मुझे लगा के वो भी मुझसे प्यार करता है इस गलतफहमी में खुद पर सितम करता रहा! उसकी दोस्ती का भरम करता रहा !एक तरफा ही सही मैं उससे प्यार करता रहा! इश्क के इम्तेहान का वक्त जब आया मैंने पूछा कि" कितना प्यार करते हो "इस बात पर वह मुकरता रहा !और मैं उस संगेदिल पर मरता रहा !मेरा अनमोल खजाना था उसकी  मुस्कुराहट, इस बात का जिक्र मैं रब से करता रहा! एक तरफा ही सही मैं उससे प्यार करता रहा!

©Dinesh Kashyap
  #Ek trfa

#Ek trfa #Poetry

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