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गणेश शाबर मंत्र मन्त्रः- ॐ गणपति यहाँ पठाऊं तहां

गणेश शाबर मंत्र मन्त्रः- 
ॐ गणपति यहाँ पठाऊं तहां जावो दस कोस आगे जा ढाई कोस पीछे जा दस कोस सज्जे दस कोस खब्बे मैया गुफ्फा की आज्ञा मन रिद्धि सिद्धि देवी आन अगर सगर जो न आवे तो माता पारवती की लाज ! ॐ क्राम् फट् स्वाहा !

कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र मन्त्रः- 
“ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे। राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर। औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय गिरनार-पति। ॐ नमो स्वाहा।”

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 144 से 154 नाम 
144 सहिष्णुः दैत्यों को भी सहन करने वाले
145 जगदादिजः जगत के आदि में उत्पन्न होने वाले
146 अनघः जिनमे अघ (पाप) न हो
147 विजयः ज्ञान, वैराग्य व् ऐश्वर्य से विश्व को जीतने वाले
148 जेता समस्त भूतों को जीतने वाले
149 विश्वयोनिः विश्व और योनि दोनों वही हैं
150 पुनर्वसुः बार बार शरीरों में बसने वाले
151 उपेन्द्रः अनुजरूप से इंद्र के पास रहने वाले
152 वामनः भली प्रकार भजने योग्य हैं
153 प्रांशुः तीनो लोकों को लांघने के कारण प्रांशु (ऊंचे) हो गए
154 अमोघः जिनकी चेष्टा मोघ (व्यर्थ) नहीं होती

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' गणेश शाबर मंत्र मन्त्रः- 
ॐ गणपति यहाँ पठाऊं तहां जावो दस कोस आगे जा ढाई कोस पीछे जा दस कोस सज्जे दस कोस खब्बे मैया गुफ्फा की आज्ञा मन रिद्धि सिद्धि देवी आन अगर सगर जो न आवे तो माता पारवती की लाज ! ॐ क्राम् फट् स्वाहा !

कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र मन्त्रः- 
“ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे। राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर। औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय गिरनार-पति। ॐ नमो स्वाहा।”
गणेश शाबर मंत्र मन्त्रः- 
ॐ गणपति यहाँ पठाऊं तहां जावो दस कोस आगे जा ढाई कोस पीछे जा दस कोस सज्जे दस कोस खब्बे मैया गुफ्फा की आज्ञा मन रिद्धि सिद्धि देवी आन अगर सगर जो न आवे तो माता पारवती की लाज ! ॐ क्राम् फट् स्वाहा !

कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र मन्त्रः- 
“ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे। राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर। औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय गिरनार-पति। ॐ नमो स्वाहा।”

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 144 से 154 नाम 
144 सहिष्णुः दैत्यों को भी सहन करने वाले
145 जगदादिजः जगत के आदि में उत्पन्न होने वाले
146 अनघः जिनमे अघ (पाप) न हो
147 विजयः ज्ञान, वैराग्य व् ऐश्वर्य से विश्व को जीतने वाले
148 जेता समस्त भूतों को जीतने वाले
149 विश्वयोनिः विश्व और योनि दोनों वही हैं
150 पुनर्वसुः बार बार शरीरों में बसने वाले
151 उपेन्द्रः अनुजरूप से इंद्र के पास रहने वाले
152 वामनः भली प्रकार भजने योग्य हैं
153 प्रांशुः तीनो लोकों को लांघने के कारण प्रांशु (ऊंचे) हो गए
154 अमोघः जिनकी चेष्टा मोघ (व्यर्थ) नहीं होती

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' गणेश शाबर मंत्र मन्त्रः- 
ॐ गणपति यहाँ पठाऊं तहां जावो दस कोस आगे जा ढाई कोस पीछे जा दस कोस सज्जे दस कोस खब्बे मैया गुफ्फा की आज्ञा मन रिद्धि सिद्धि देवी आन अगर सगर जो न आवे तो माता पारवती की लाज ! ॐ क्राम् फट् स्वाहा !

कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र मन्त्रः- 
“ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे। राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर। औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय गिरनार-पति। ॐ नमो स्वाहा।”

गणेश शाबर मंत्र मन्त्रः- ॐ गणपति यहाँ पठाऊं तहां जावो दस कोस आगे जा ढाई कोस पीछे जा दस कोस सज्जे दस कोस खब्बे मैया गुफ्फा की आज्ञा मन रिद्धि सिद्धि देवी आन अगर सगर जो न आवे तो माता पारवती की लाज ! ॐ क्राम् फट् स्वाहा ! कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र मन्त्रः- “ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे। राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर। औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय गिरनार-पति। ॐ नमो स्वाहा।” #समाज