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स्याह रातों से जानें क्यों अब बंदगी होने लगी है,

स्याह  रातों से जानें क्यों अब  बंदगी होने लगी है,
लब ख़ामोश है फिर भी अब गुफ़्तगू होने लगी है।

आईनें  में देख  लिया जिस दिन से चेहरा उसका,
जेठ की दोपहरी में अब बाद-ए-सबा बहने लगी है।

दिल आज़ाद है लेकिन धड़कन तेरी मुट्ठी में क़ैद है,
रूह अब बदन छोड़ कर जाने को कहने लगी है।

जबसें  बरसी है तेरी  इनायत अब्र बनकर मुझ पर,
दुनिया तबसे मुझें  मोहब्बत का देवता कहने लगी है।

रोज़ -रोज़ नई -नई ख़्वाहिशें  क्यों बढ़ती जाती है,
भीड़ इतनी कि दिल के कूचें में घुटन सी होने लगी है।

मेरी मोहब्बत का असर पानी जैसा हो गया है आशु,
रंगीनियाँ छाई है ज़हाँ में मग़र ज़िंदगी बेरंग होनें लगी है।

 #yqdidi #yqbaba #lovequote #gazal #आशु_की_कलम_से #ग़ज़ल
स्याह  रातों से जानें क्यों अब  बंदगी होने लगी है,
लब ख़ामोश है फिर भी अब गुफ़्तगू होने लगी है।

आईनें  में देख  लिया जिस दिन से चेहरा उसका,
जेठ की दोपहरी में अब बाद-ए-सबा बहने लगी है।

दिल आज़ाद है लेकिन धड़कन तेरी मुट्ठी में क़ैद है,
रूह अब बदन छोड़ कर जाने को कहने लगी है।

जबसें  बरसी है तेरी  इनायत अब्र बनकर मुझ पर,
दुनिया तबसे मुझें  मोहब्बत का देवता कहने लगी है।

रोज़ -रोज़ नई -नई ख़्वाहिशें  क्यों बढ़ती जाती है,
भीड़ इतनी कि दिल के कूचें में घुटन सी होने लगी है।

मेरी मोहब्बत का असर पानी जैसा हो गया है आशु,
रंगीनियाँ छाई है ज़हाँ में मग़र ज़िंदगी बेरंग होनें लगी है।

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