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उसे पता था कि गांवों में उसकी आत्मा बसी है लेकिन व

उसे पता था कि गांवों में उसकी आत्मा बसी है
लेकिन वो उदास होकर रूह लिए
बेचारा चला गया बूढ़े बैलों की मोह लिए
सोंधी मिट्टी की खुशबू को ओढ़कर
पुरखों की विरासत को छोड़कर
जिंदा रहकर भी आज मरकर भी
किसी को कुछ न कुछ दे गया,
वो सताया हुआ अपनों का
अपनों को न चाहते हुए
कुछ यादें लेकर कुछ यादें देकर
रूंआसां सा गांव छोड़ गया... उसे पता था कि गांवों में उसकी आत्मा बसी है
लेकिन वो उदास होकर रूह लिए
बेचारा चला गया बूढ़े बैलों की मोह लिए
सोंधी मिट्टी की खुशबू को ओढ़कर
पुरखों की विरासत को छोड़कर
जिंदा रहकर भी आज मरकर भी
किसी को कुछ न कुछ दे गया,
वो सताया हुआ अपनों का
उसे पता था कि गांवों में उसकी आत्मा बसी है
लेकिन वो उदास होकर रूह लिए
बेचारा चला गया बूढ़े बैलों की मोह लिए
सोंधी मिट्टी की खुशबू को ओढ़कर
पुरखों की विरासत को छोड़कर
जिंदा रहकर भी आज मरकर भी
किसी को कुछ न कुछ दे गया,
वो सताया हुआ अपनों का
अपनों को न चाहते हुए
कुछ यादें लेकर कुछ यादें देकर
रूंआसां सा गांव छोड़ गया... उसे पता था कि गांवों में उसकी आत्मा बसी है
लेकिन वो उदास होकर रूह लिए
बेचारा चला गया बूढ़े बैलों की मोह लिए
सोंधी मिट्टी की खुशबू को ओढ़कर
पुरखों की विरासत को छोड़कर
जिंदा रहकर भी आज मरकर भी
किसी को कुछ न कुछ दे गया,
वो सताया हुआ अपनों का