अगर मैं रावण होता तो अगर मैं रावण होता तो कहता मानव जात को, बंद करो यह अत्याचार, बस करो अब ये विनाश, मेरी किस्मत में लिखा था श्रीराम के हाथों मुक्ति पाना, इसलिए मैंने हरिप्रिया का किया था हरण, अधर्मी कह कर फिर मुझे पुकारा गया था, अधर्मी में अगर होता तो सीता मेरे राज्य में पवित्र ना रहती, और अपने पापों की सजा मैंने अपना कुल और राज्य खोकर चुकाई थी, अपना सम्मान मान प्रतिष्ठा भी मैंने सब कुछ गवाई थी, रावण का अहंकार-रावण का अहंकार कह कर तुम सबको ताना देते हो, अगर मैं रावण अहंकारी होता तो अंत में भी क्षमा की याचना नहीं करता, और ना ही श्रीराम लक्ष्मण को मेरे अंतिम दर्शन के लिए भेजते, पर आजकल का मानव तो दुष्टता की हर हद पार कर चुका है, उनमें ना दया बची है ना शर्मिंदगी, हर साल दशहरा मनाते हो बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है, पर मन तो तुम्हारे मैल से सने हैं और तुम दशहरा मनाते हो, फिर किस अच्छाई की तुम उम्मीद लगाते हो, आखिर हर साल रावण जलाकर तुम क्या साबित करना चाहते हो, एक ही बार में अपने मन के रावण को क्यों नहीं जला देते, ताकि संसार से सारे अपराध ही खत्म हो जाए, पुरुष पराई स्त्री को मां बेटी बहन समान समझे, और स्त्री पराये पुरुष को पिता भाई पुत्र के समान समझे, किसी की भलाई ना कर सको तो किसी का बुरा तो ना करो, हां मैं रावण जिसे तुम हर साल जलाते हो, अपने मन के रावण को फिर भी तुम सब कुशल बचाते हो, असली दशहरा तो तभी जलेगा जब तुम अपने अंदर के रावण को खत्म कर दोगे, अपने मन की सारी बुराइयों को मिटा दोगे क्या तुम्हारा फर्ज नहीं बनता इस दशहरे अपने मन के रावण को जलाना।। #अगर #मैं #रावण #होता #तो अगर आज रावण होता तो रावण भी आज के समाज की दुर्दशा देखकर कहता कि अच्छा हुआ मैं बहुत पहले भगवान के हाथों मारा गया🙏🙏🙏🙏🙏 अगर मैं रावण होता तो कहता मानव जात को, बंद करो यह अत्याचार, बस करो अब ये विनाश, मेरी किस्मत में लिखा था श्रीराम के हाथों मुक्ति पाना, इसलिए मैंने हरिप्रिया का किया था हरण, अधर्मी कह कर फिर मुझे पुकारा गया था, अधर्मी में अगर होता तो सीता मेरे राज्य में पवित्र ना रहती,