बचपन से ही था वो अव्वल पढ़ लिख नाम कमाया हर दर्जे में प्रथम आया मां बाप को फक्र दिलाया हुआ जब अठरह का और देखी उसने दुनियादारी घर के लाड़ले बेटे ने सोचा लेने को अपनी जिम्मेदारी दूर शहर जाना था उसको करने को कुछ काम तभी तो पिता के कर्ज़ चूकेंगे घर का होगा कल्यान बांध के वो सामान जब अपना पलटा ही था पीछे दिखी अंगने में छोटी बहना रोते हुए सर को कर नीचे हाथ पकड़ कर कहा तब उसने भैया जल्दी आना तुम बिन कौन चिढ़ाएगा मुझको देकर मीठा ताना खड़ा था भाई ओसारे में बांध कर मुट्ठी अपना भईया किसे सुनाऊंगा मैं दिनभर का किस्सा अपना .......................................to be continu ©Ankur tiwari #bete