ऐसा तो नहीं था चमन मेरा , खिलते थे फूल सतरंगी इन्हीं फिजाओं में, बड़ा खुशहाल था सवेरा, ये जो फैली है नफरत की चिंगारी इस नए दौर मे आओगे इसकी जद में तुम या कोई चिराग तेरा #सवेरा