किस बात की आजादी दाेस्ताें, किस बात का मन रहा जश्न है? बच्चियाेंं कि लुटती अस्मत जहां जहां काेख में बेटियाँ हाेती दफन हैं। घाेड़ाें के पैराें में जंजीर यहां दाैड़ रहें गदहे है झक सफेद लिबास इनके,पर मन मे पाप के गहरे धब्बे है आजादी के सालगिरह पर ये मुस्कुराते है, तिरंगा फहराते है, पर रात ढ़लतें हीं यही लाेग बाेतल के साथ बेटियाें का निवाला चबाते है मार डालाे इन दंरिन्दाें काे सरेआम चाैक-चाैराहाें पर तभी आजाद हाेगीं हमारी बेटियाँ आयेगी मुस्कान उनके लबाें पर। #yquotes#yqbaba#yqdada#yqdidi##yqhindi#yqlove#yqtable