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यूँ ही नहीं हम क़रीब आते गये, बे'जुबानी ने सब कुछ

यूँ ही नहीं हम क़रीब आते गये,
बे'जुबानी ने सब कुछ कहा है।
ख़ामोशी का अंदाजा लगा सका
ज़ज्ब अरमानों ने क्या सहा है।
तमाम उम्र तन्हाई में बीतती रही
लम्हा-लम्हा ये अरसा कटा है।
चुप है जुबाँ पर बोल देती आँखें
नाजुक दिल ने सब तो सहा है।
ठहरा रहा हूँ समंदर सा 'अनाम'
कतरा-कतरा अश्कों में बहा है।
तलाश मेरी पूरी हुई सी लगती
न अब किसी का इंतजार रहा है।
 #जज्ब अरमान
यूँ ही नहीं हम क़रीब आते गये,
बे'जुबानी ने सब कुछ कहा है।
ख़ामोशी का अंदाजा लगा सका
ज़ज्ब अरमानों ने क्या सहा है।
तमाम उम्र तन्हाई में बीतती रही
लम्हा-लम्हा ये अरसा कटा है।
चुप है जुबाँ पर बोल देती आँखें
नाजुक दिल ने सब तो सहा है।
ठहरा रहा हूँ समंदर सा 'अनाम'
कतरा-कतरा अश्कों में बहा है।
तलाश मेरी पूरी हुई सी लगती
न अब किसी का इंतजार रहा है।
 #जज्ब अरमान

#जज्ब अरमान