मेरी किश्ती, मेरे साहिल, मेरी पतवार ले डूबे, हमे खुद ही हमारे तलबगार ले डूबे| चाह थी के आसमान छूना है, हमे कमबख्त बडे-बडे दरबार ले डूबे|