बात क्या हुआ अभी किसे यहाँ पता नहीं। तोड़ के हिया चले कहें हुआ ख़ता नहीं। बात कौन मानता प्रतारणा मिला सदा। दूर हो रहा वफ़ा बचा यहाँ गिला सदा। #चामर_छंद #वफ़ा #विश्वासी