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जितना रुलाओगे, निखरती जाएंगी तेरे तसव्वुर में यूँ

जितना रुलाओगे, निखरती जाएंगी
तेरे तसव्वुर में यूँ ही संवरती जाएंगी
ये नजरें हैं, न कि तेरा तेवर
जो मौसम दर मौसम बदलती जाएंगी
तू हिज्र दे या वस्ल, परवाह नही
तेरी मुस्कुराहट पे यूँही मरती जाएंगी
होंगी सुर्ख़ लाल कभी, कभी बादल सी सफ़ेद
कभी तालाब सी सूखेंगी कभी समंदर सी भर जाएंगी
 तस्सवुर=कल्पना
हिज्र=जुदाई
वस्ल=मिलन
सुर्ख़=चटख

     Hola writers, kinda busy now-a-days.
I'll try to keep up.
जितना रुलाओगे, निखरती जाएंगी
तेरे तसव्वुर में यूँ ही संवरती जाएंगी
ये नजरें हैं, न कि तेरा तेवर
जो मौसम दर मौसम बदलती जाएंगी
तू हिज्र दे या वस्ल, परवाह नही
तेरी मुस्कुराहट पे यूँही मरती जाएंगी
होंगी सुर्ख़ लाल कभी, कभी बादल सी सफ़ेद
कभी तालाब सी सूखेंगी कभी समंदर सी भर जाएंगी
 तस्सवुर=कल्पना
हिज्र=जुदाई
वस्ल=मिलन
सुर्ख़=चटख

     Hola writers, kinda busy now-a-days.
I'll try to keep up.