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कंठ निल, मौन रूप, जटाधारी हे! महेश्वरा। ब्रह्म तू,

कंठ निल, मौन रूप, जटाधारी हे! महेश्वरा।
ब्रह्म तू, ब्रह्मांड तू, क्या नक्षत्र क्या वसुंधरा!

चर भी तू, अचर भी तू, तू ही तू हर जगह।
क्षुद्र मैं, विशाल तू,  चरण रज में दे जगह। #shatyagashi #lordshiva #aaradhana
कंठ निल, मौन रूप, जटाधारी हे! महेश्वरा।
ब्रह्म तू, ब्रह्मांड तू, क्या नक्षत्र क्या वसुंधरा!

चर भी तू, अचर भी तू, तू ही तू हर जगह।
क्षुद्र मैं, विशाल तू,  चरण रज में दे जगह। #shatyagashi #lordshiva #aaradhana