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कुछ ख्वाबों की गठरी टांगे, कंधों पर हैं बोझ पुराने

कुछ ख्वाबों की गठरी टांगे,
कंधों पर हैं बोझ पुराने।
चला कारवां जीवन का फिर,
उम्मीदों की तलब बुझाने।
- अश्वनी दीक्षित #dixitg 

जीवन का कारवां
कुछ ख्वाबों की गठरी टांगे,
कंधों पर हैं बोझ पुराने।
चला कारवां जीवन का फिर,
उम्मीदों की तलब बुझाने।
- अश्वनी दीक्षित #dixitg 

जीवन का कारवां

#dixitg जीवन का कारवां #कविता