बासी कढ़ी में भी आता है,अक्सर उबाल यारो, हैरा न हो पड़ोसी भी होता है*दलाल यारो//१ "फर्ज निभाते निभाते कर दी कुर्बान अपनी*तमाम *मसर्रत, सिवाय इसके क्या है*हलाल यारो/२/ *कर्तव्य,*पूरा*खुशी*शुद्ध जमाने के*रंजो अलम,है सीने में,फर्ज का बोझ है *शानो पे, अब खुदी का क्या है*मलाल यारो//३ *दुख*कंधे*पछतावा कितना*दिलफरेब है,अपने जख्मी दिल को कुरेदना, खुदी में खो जाना यही तो हैं*बवाल यारो//४ *दिल का धोखा*हंगामा उठाए फिरते है,दिल पे बोझ हमदर्द सांसों का, हमने*चंद रोजा जिंदगी में कब,किया है कमाल यारो//५ *कुछ दिन तमाम उम्र इक*तालीम याफ्ता नौजवान बेरोजगार बैठा रहा,मानिंदे अपाहिज, अब*जईफी में की उसको*मुहय्या रोजगार की है मशाल यारो//६ *विद्वान*बुढ़ापा*उपलब्ध कितना*रंजीदा है देश का किसान*कहतसाली से, कि देखकर फावड़ा,फेक दिया है कुदाल यारो//७ *गमगीन*अकाल जिस्म निचोड़कर,जिगर सोख उस लिया*सीतमगर ने अब तक चश्म में न आया है*जलाल यारो//८ *जल्लाद*आंख*गुस्सा यारो कढ़ी और दलाल सब एक फितरतन है,शमा देखो तो*हक से*बातिल ने किया है सवाल यारो//९ *सच*झूठ शमीम अख्तर/शमा writes ✍️ ©shama write बासी कढ़ी में भी आता है,अक्सर उबाल यारो,हैरा न हो पड़ोसी भी होता है*दलाल यारो//१ "फर्ज निभाते निभाते कर दी कुर्बान अपनी*तमाम *मसर्रत,सिवाय इसके क्या है*हलाल यारो/२/*कर्तव्य,*पूरा*खुशी*शुद्ध जमाने के*रंजो अलम,है सीने में,फर्ज का बोझ है *शानो पे,अब खुदी का क्या है*मलाल यारो//३ *दुख*कंधे*पछतावा कितना*दिलफरेब है,अपने जख्मी दिल को कुरेदना, खुदी में खो जाना यही तो