मैं रंगो में रंगा, रंग बिरंगा हूँ कुछ सवरा सा, कुछ बेरंगा हूँ .... सीमाओं में बंधना मंजूर नहीं मुझे उन्मुक्त गगन में उड़ू , वो आजाद परिंदा हूँ .... काव्य आत्मा, साहित्य जान और संगीत पहचान है मेरी मैं नन्द लाल की भूमि से ब्रज भूमि का वासिंदा हूँ ... 24/365 #365days365quotes #solutionofproblem #रंग #आजाद #ब्रज #yourquotedidi