चीर समय से हिर्दय प्रेम वियोग में डूबा है। हुआ है परिहार हिर्दय में औऱ सुकुन दिल ने खोया है पास बची है उनकी यादे. अब हर शाम ये दिल शोक मनाता है । कंठ पड़ा है शुखा औऱ नैनों ने नीर छलकाता है। समय हुआ है पत्थर सा छण भर की गुंजाइश नही हो मुलाकात बस एक बार कुछ और दिल की फरमाइश नही।।। Dil ki kalam se