बस्ती सारी जल जाती है इक चिंगारी बन जाती आग प्रेमपत्र जलाकर सारे राज़ समेटी, बैठी इक आग (full in caption) चाहे जला लो चाहे बुझा लो एक ही आग है जिस रंग में ढालो पवित्र अग्नि फेरों की या भूखे का पेट भरे चूल्हे में ये जलती आग बस्ती-बस्ती जल जाती है