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*डर* आपकी बातें मानकर, जो आप कहेंगें बन जाऊँगा, आ

*डर*

आपकी बातें मानकर, जो आप कहेंगें बन जाऊँगा,
आपके नक्शे चल, आगे भी मैं बढ़ जाऊँगा,
आपके सानिध्य में, कामियाब मैं बन जाऊँगा पापा,
किन्तु सपनो का गला घोट कर , खुश नहीं रह पाउँगा पापा ।।

एक अच्छे बेटे की तरह, सारी इच्छाएँ पूर्ण करता जाऊँगा,
न कोई बहस न कोई सवाल, हाँ में हाँ भरता जाऊँगा,
शब्द ज्ञान छोड, आपको अपना ज्ञान मैं बना जाऊँगा पापा,
किंतु अंदर की जिज्ञासा मार, खुश नहीं रह पाउँगा पापा ।।

हर हार से कुछ सीख, बहेतर मैं बन जाऊँगा,
अपनी हर जीत को, आपकी मैं बतलाऊँगा ,
आखरी साँस तक अपनी, परिवार के लिए जीता जाऊँगा पापा
किंतु खुद के लिए जिये बिना, ख़ुश नहिं रह पाउँगा पापा ।।

सारी बचकानी बातें छोड़, बड़ा मैं हो जाऊँगा,
यारी-दोस्ती को भूल, अब सफल व्यापारी बन जाऊँगा,
आपकी बढ़ती आयु को, अपनी मैं बतलाऊँगा पापा,
किन्तु अंदर के बच्चे को मार, खुश नहीं रह पाउँगा पापा ।।

अब साहित्य और संगीत भूल, व्यापार में लग जाऊँगा,
अपनी रुचियों को पीछे छोड़, गैरों के लिए जीता जाऊँगा,
आपकी बातें मानकर, जो कहेंगे मैं बन जाऊँगा पापा,
किंतु, इतना आज्ञाकारी होने के बाद भी, दूर आपसे हो जाऊँगा पापा ।।

*सूर्यांश गर्ग* #thought
*डर*

आपकी बातें मानकर, जो आप कहेंगें बन जाऊँगा,
आपके नक्शे चल, आगे भी मैं बढ़ जाऊँगा,
आपके सानिध्य में, कामियाब मैं बन जाऊँगा पापा,
किन्तु सपनो का गला घोट कर , खुश नहीं रह पाउँगा पापा ।।

एक अच्छे बेटे की तरह, सारी इच्छाएँ पूर्ण करता जाऊँगा,
न कोई बहस न कोई सवाल, हाँ में हाँ भरता जाऊँगा,
शब्द ज्ञान छोड, आपको अपना ज्ञान मैं बना जाऊँगा पापा,
किंतु अंदर की जिज्ञासा मार, खुश नहीं रह पाउँगा पापा ।।

हर हार से कुछ सीख, बहेतर मैं बन जाऊँगा,
अपनी हर जीत को, आपकी मैं बतलाऊँगा ,
आखरी साँस तक अपनी, परिवार के लिए जीता जाऊँगा पापा
किंतु खुद के लिए जिये बिना, ख़ुश नहिं रह पाउँगा पापा ।।

सारी बचकानी बातें छोड़, बड़ा मैं हो जाऊँगा,
यारी-दोस्ती को भूल, अब सफल व्यापारी बन जाऊँगा,
आपकी बढ़ती आयु को, अपनी मैं बतलाऊँगा पापा,
किन्तु अंदर के बच्चे को मार, खुश नहीं रह पाउँगा पापा ।।

अब साहित्य और संगीत भूल, व्यापार में लग जाऊँगा,
अपनी रुचियों को पीछे छोड़, गैरों के लिए जीता जाऊँगा,
आपकी बातें मानकर, जो कहेंगे मैं बन जाऊँगा पापा,
किंतु, इतना आज्ञाकारी होने के बाद भी, दूर आपसे हो जाऊँगा पापा ।।

*सूर्यांश गर्ग* #thought