शाम ढ़ल रही है फिज़ा रंगीन हो रही है ठंडी हवा चल रही है तबीयत आफ़रीन हो रही है नज़रों को तुम झुका लो जुल्फों में हमें पनाह दो मीठी सी है ये ठंडक हवा नमकीन हो रही है बादल सा जिस्म तेरा बूँदों सा इश्क मेरा चाँद भी कह रहा है बात संगीन हो रही है मुझमें घुल रही हो बनके शायरी तुम रेशा-रेशा है तेरी गवाही रात बेहतरीन हो रही है... © abhishek trehan #moonsandmoans #erotica #yqbaba #manawoawaratha #romantic_poetry #romanticshayari #yqhindi