1222 1222 1222 1222 दिखाई जो नहीं देता वो भी होता है दुन्या में है जिसके पास में सब कुछ वो भी तन्हा है दुन्या में वो अपनों के दिये ज़ख्मो को भी सहता है दुन्या में रुलाता है जो अपनों को वो भी रोता है दुन्या में अँधेरा छा रहा था हर तरफ़ मेरे जहां में तो फ़रोज़ाँ हो गया जब से, तुझे देखा है दुन्या में मरासिम तुझसे मेरे हैं, तुझे कैसे बताऊँ मैं तू ही तारी है हर-सू अब, तू ही छाया है दुन्या में "सफ़र" मेरा कठिन है ये, तुम्हे मैं क्या बताऊँ अब कभी है मुख़्तसर मेरा, कभी लम्बा है दुन्या में "सफ़र" जो हो गया महदूद ग़म के डर से मौला वो ग़मो की धूप से लड़के निकल आया है दुन्या में फ़रोज़ाँ- luminous, shining महदूद- bounded #yqbaba #yqdidi #shayari #सफ़र_ए_प्रेरित