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पल्लव की डायरी घर की चौखटों से बहार निकल प्रखर और

पल्लव की डायरी
घर की चौखटों से बहार निकल
प्रखर और अनुभवी गुण भरे है नारी
सोच उसकी आसमान तक
अपने पँखो से उड़ान भरती अब नारी
लाचारी और बिचारी की तोड़ हदे,
खुद अपने पैरों पर झूमती नारी
मिला उसे कलुयग का वरदान
नर के बराबर शान रखती नारी
बाजारवाद की आवश्यकता और आर्कषण का
महत्त्वपूर्ण केंद्र बनी है नारी
कितने स्वरूपो को तज कर
स्मार्ट बनी है आज नारी
                                  प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
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 नारी
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