चाहत में इम्तेहान कहां! ये चाहना इतना आसान कहां!! अपने आप को भूलना पड़ता है, उसकी मर्जी से भी चलना पड़ता है, उसको भी संभालना होता है हर पत्थर से,हर ठोकर से, और खुद भी संभलना पड़ता है। एक सफर में संग दो राही फिर रहते हैं अनजान कहां! ये चाहना इतना आसान कहां, चाहत में इम्तेहान कहां!! ©निम्मी #Chhahat