कोशिशें तो नायाब है, मगर नसीब में ना वो ख़ास है आरज़ू कहें या जुस्तजू, वो दूर कहीं, पर ना वो पास है मुसलसल नज़रें है ढूंँढती उन्हें, हमें उनकी ही तलाश है वो गुम हैं कहाँ ख़बर नहीं, उनसे मिलने की इक आस है कुछ हसरतें पूरी नहीं होती, ख्व़ाहिशे अब भी उदास है उनकेे बिन ज़िन्दगी कुछ भी तो नहीं, जैसे एक ज़िंदा लाश है 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-102 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।