पराए से तो हर कोई लड़ कर जीत सकता है पर बात अपनों की आए तो सब हार जाता है स्वार्थआ जाए मन में तो अपनों से लड़ जाता हैं लड़ना क्या तब तो रिश्तों का कत्ल हो जाता है जब जीत जाएं तब फ़िर भी डर खाये जाता है वो सब कुछ पाकर भी अकेला रह जाता है मन में न झांक कर शांति की तलाश में रहता हैं मन में झांके तो अपने किए का पछतावा हो जाता है पर मन में झांके कौन क्योंकि वह सच बताता है फ़िर मन पर हावी उसके घमंड हावी हो जाता है फिर वह शांति की तलाश कहां कर पाता है अकेलापन महसूस कर कई दूर निकल जाता है ©Chandrawati Murlidhar Sharma इंसान खुद को कहां खोज पाता है #findyourself