एक ख्वाब था मेरा भी....पापा के गले लगने की उनके साथ खेलने की और ढेर सारी बाते करने की..... औरो की तरह पापा पापा चिल्लाने की, छोटी छोटी बातो को लेकर उनसे लड़ने की लेकिन सब कुछ कम सा है, पिता के बिना सब अधुरा सा है... एक ख्वाब था मेरा भी..पापा के कधों का सहारा बनने की....हौसलो से हार मानु तो पापा का हाथ पाने की....जिदंगी से कभी डर लगे तो पापा के सलाह लेने की.....आँखो मे आँसु हो तो उन्हे पोछने की..... सब कुछ पुरा सा है.पर पिता के बिना कुछ खाली सा हैं..... । miss u my dad .....