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आज कल लफ्जो के लश्कर गुजर रहे है हमारी गलियों से उ

आज कल लफ्जो के लश्कर गुजर रहे है हमारी गलियों से उदय ..!
लगता है कहीं नम आंखे यादों का क़िला बना रही है ..!.!
@1444 #reading

#reading
आज कल लफ्जो के लश्कर गुजर रहे है हमारी गलियों से उदय ..!
लगता है कहीं नम आंखे यादों का क़िला बना रही है ..!.!
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